जयपुर (सुरेन्द्र स्वामी). स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से पुरुष, महिलाओं के बाद बच्चों में नियंत्रण का दावा फेल होता नजर आ रहा है। प्रदेश में 5 साल से 14 साल तक की उम्र के हर साल जानलेवा एचआईवी संक्रमण से 500 बच्चे शिकार हो रहे है। कारण संक्रमित मां, असुरक्षित खून चढ़ाने और ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चे बच्चों में संक्रमण पहुंच रहा है।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल परिसर स्थित एआरटी सेन्टर पर नए व पुराने करीबन 250 बच्चे पंजीकृत है। इससे चिकित्सा विभाग की ओर से संचालित कार्यक्रम पर सवालिया निशान लग गया है। देश में बच्चों में एचआईवी संक्रमण के शिकार में पहले नंबर पर महाराष्ट्र, दूसरे पर यूपी और तीसरे नंबर पर कर्नाटक है। देश में वर्ष 2015-16 में 8702, 2016-17 में 7939 और 2017-18 में 7232 बच्चे बीमारी की गिरफ्त में है।
इधर, ग्लोबल एलायंस फॉर हूमन राइट के बृजेश दुबे का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को जानकारी देकर बच्चों को एचआईवी से बचाने के लिए प्लान इंडिया के तहत करोड़ों रुपए ग्लोबल फंड से मिलते है, लेकिन अनियमितता के कारण खर्च नहीं किया जा रहा है। यह गंभीर लापरवाही है। जांच नहीं होने से बच्चे एचआईवी के साथ जन्म ले रहे है।